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बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा | Buddha Purnima Vrat Katha PDF in Hindi

बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा | Buddha Purnima Vrat Katha Hindi PDF Download

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बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा | Buddha Purnima Vrat Katha PDF Details
बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा | Buddha Purnima Vrat Katha
PDF Name बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा | Buddha Purnima Vrat Katha PDF
No. of Pages 3
PDF Size 0.54 MB
Language Hindi
CategoryEnglish
Source pdffile.co.in
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बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा | Buddha Purnima Vrat Katha Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा PDF / Buddha Purnima Vrat Katha PDF in Hindi प्रदान करने जा रहे हैं। बुद्ध पूर्णिमा का व्रत भगवान बुद्ध को समर्पित होता है। बौद्ध धर्म के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का व्रत भगवान बुद्ध को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। धार्मिक पुरानों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के अवसर को बहुत ही पवित्र एवं शुभ अवसर माना जाता है। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 16 मई को बड़े ही भक्ति-भाव से मनाया जाएगा।

बुद्ध पुर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की जाती है। पूर्णिमा को सत्यव्रत पूर्णिमा तथा वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन को इसीलिए इतना पवित्र माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जिसके उपलक्ष्य में यह पुर्णिमा बुद्ध पुर्णिमा के नाम से प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण के कहने पर उनके मित्रा सुदामा ने यह इस व्रत का पालन किया था जिससे उनकी दरिद्रता सदैव के लिए दूर हो गई थी।

भगवान बुद्ध को श्री हरी विष्णु जी का अवतार भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन से ही महात्मा बुद्ध ने सदियों तक कठोर तपस्या की और वन में भटकने के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति की थी। ऐसा माना जाता है कि बुद्ध पुर्णिमा के पवित्र दिन पर ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तो भक्तों अगर आप भी भगवान बुद्ध को प्रसन्न करके उनकी विशेष कृपा अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं, तो बुद्ध पुर्णिमा का व्रत श्रद्धापूर्वक अवश्य करें एवं कथा भी अवश्य पढ़ें अथवा सुनें।

बुद्ध पूर्णिमा व्रत कथा / Buddha Purnima Vrat Katha PDF in Hindi

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिका नामक नगरी में चंद्रहाश नामक राजा रहता था। उसी नगर में धनेश्वर नामक एक ब्राम्हण था, उसकी पत्नी अति सुशील और रूपवती थी। घर में धन धान्य आदि की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उन्हें संतान ना होने का दुख हमेशा सताता था।
  • एक बार गांव में एक योगी आया और उसने ब्राम्हण का घर छोड़कर आसपास के सभी घरों से भिक्षा लिया और गंगा किनारे जाकर भोजन करने लगा। अपने भिक्षा के अनादर से दुखी होकर धनेश्वर योगी के पास जा पहुंचा और इसका कारण पूछा।
  • योगी ने कहा कि निसंतान के घर की भीख पतितों के अन्न के समान होती है, जो पतितों के घर का अन्न खाता है वह भी पतित हो जाता है। पतित हो जाने के भय से वह उस ब्राह्मण के घर से भिक्षा नहीं लेता था। इसे सुन धनेश्वर बेहद दुखी हुआ और उसने योगी से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा।
  • योगी ने बताया कि तुम मां चण्डी की अराधना करो, इसे सुन वह देवी चण्डी की अराधना करने के लिए वन में चला गया। मां चण्डी ने ब्राह्मण के तप से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। उन्होंने कहा कि लगातार 32 पूर्णिमा का व्रत करने से तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी।
  • ठीक उसी प्रकार उन्होंने लगातार 32 पूर्णिमा का व्रत किया और वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इस प्रकार पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।

बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि

  • बुद्ध पुर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
  • इसके बाद स्नान आदि कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • बुद्ध पुर्णिमा के अवसर पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन यदि आप किसी कारणवश यह नहीं कर पते हैं तो केवल सादे पानी में ही गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
  • तदोपरांत घर के मुख्य द्वार पर हल्दी या कुंकुम से स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
  • अब लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछा लें।
  • तत्पश्चात भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें।
  • इसके बाद भगवान को धूप-दीप अर्पित करें।
  • तदोपरांत बोधिवृक्ष या पीपल के वृक्ष पर अर्घ्य देकर भी धूप-दीप जलाएं और परिक्रमा करें।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पीपल के पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है।
  • कहा जाता है बिना चंद्र दर्शन के पूर्णिमा की पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती, इसीलिए शाम को धूप दीप करने के बाद चंद्र दर्शन अवश्य करें।
  • दर्शन करने के पश्चात चंद्र देव को अर्घ्य दें।
  • बुद्ध पुर्णिमा के दिन किसी पात्र में व्यक्ति या ब्राम्हण को भोजन कराने और दान देने से भगवान विष्णु जी की असीम कृपा प्राप्त होती है।

बुद्ध पूर्णिमा 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

  • बुद्ध पूर्णिमा 2022 – 16 मई 2022, सोमवार
  • पूर्णिमा तिथि आरंभ – 15 मई 2022, रविवार को देर रात्रि 12:45 से
  • पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – 16 मई 2022, सोमवार रात्रि 09:45 तक

Buddha Purnima 2022 Mantra

ओम श्रां श्रीं स: चन्द्रमसे नम: ।

ओम मणि पदमे हूम्

ओम नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

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