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हनुमान अष्टक पाठ | Hanuman Ashtak PDF in Hindi

हनुमान अष्टक पाठ | Hanuman Ashtak Hindi PDF Download

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हनुमान अष्टक पाठ | Hanuman Ashtak PDF Details
हनुमान अष्टक पाठ | Hanuman Ashtak
PDF Name हनुमान अष्टक पाठ | Hanuman Ashtak PDF
No. of Pages 4
PDF Size 0.09 MB
Language Hindi
CategoryEnglish
Source hanumanchalisa.help
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हनुमान अष्टक पाठ | Hanuman Ashtak Hindi

नमस्कार मित्रों, आज हम इस लेख के द्वारा आपको हनुमान अष्टक PDF / Hanuman Ashtak PDF in Hindi प्रदान करने जा रहे हैं। इसका पाठ करके आप हनुमान जी का आशीर्वाद सहजता से प्राप्त कर सकते हैं। हनुमान जी बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। इसीलिए आप किसी भी तरह की इच्छापूर्ति के लिए सुंदरकांड का पाठ करके हनुमान जी के आशीर्वाद से मन चाहे फल की प्राप्ति कर सकते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त हनुमान जी के समक्ष पूरी श्रद्धा – भक्ति से इस चमत्कारी सुंदर कांड का पाठ करता है तो वह हर प्रकार के रोग, शोक और मोह से तत्काल ही मुक्त हो जाता है। सुंदर कांड के पाठ से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के दुखों का अंत हो जाता है। इसीलिए अगर आप भी हनुमान जी कि कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो सुंदर कांड का पाठ मंगलवार एवं शनिवार को श्रद्धापूर्वक करें।

हनुमान अष्टक PDF / Hanuman Ashtak Lyrics PDF

बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

।। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।

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