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अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha PDF in Hindi

अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha Hindi PDF Download

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अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha PDF Details
अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha
PDF Name अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha PDF
No. of Pages 4
PDF Size 0.48 MB
Language Hindi
Categoryहिन्दी | Hindi
Source pdffile.co.in
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अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए अहोई आठे व्रत कथा PDF / Ahoi Aathe Vrat Katha PDF भाषा में प्रदान करने जा रहे हैं। अहोई आठे के व्रत को अहोई अष्टमी के व्रत के नाम से भी जाना जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में अहोई आठे का व्रत बड़े ही भक्ति-भाव एवं श्रद्धापूर्वक किया जाता है। इस व्रत में अहोई माता की पूजा-आराधना की जाती है।

मान्यता है कि अहोई आठे का व्रत करने से माताओं के संतानों के स्वास्थ्य एवं जीवन की रक्षा अहोई माता करती हैं। अहोई आठे के व्रत का पालन स्त्रियाँ निर्जल रहकर करती हैं। जैसे करवाचौथ में चाँद को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है वैसे ही इस व्रत में तारों को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण किया जाता है। माताएँ इस व्रत का पालन करवाचौथ के बाद वाली अष्टमी को विधिपूर्वक करती हैं।

माना जाता है कि इस व्रत को करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति भी होती है। इसीलिए आप भी अपने बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुखमय जीवन की कामना करने के लिए अहोई आठे के व्रत का पालन श्रद्धा से अवश्य करें। साथ ही हमारे इस लेख के माध्यम से अहोई आठे व्रत कथा PDF प्रारूप में प्राप्त करके अहोई आठे व्रत कथा आसानी से पढ़ सकते हैं। क्योंकि बिना व्रत कथा पढ़े या सुने व्रत का पूर्ण लाभ नहीं मिलता।

अहोई आठे व्रत कथा PDF | Ahoi Aathe Ki Vrat Katha in Hindi PDF

एक समय एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसका भरापूरा परिवार था। उसके 7 बेटे, एक बेटी और 7 बहुएं थीं। दिपावाली से कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों संग घर की लिपाई के लिए जंगल से साफ मिट्टी लेने गई। जंगल में मिट्टी निकालते वक्त खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का श्राप दे दिया। उस श्राप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया।

श्राप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई। उसने भाभियों से कहा कि उनमें से कोई भी ए​क भाभी अपनी कोख बांध ले। अपनी ननद की बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। उस श्राप के दुष्प्रभाव से उसकी संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती, वह सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वह परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा।

पंडित की सलाह पर उसने सुरही गाय की सेवा करनी शुरु की। उसकी सेवा से प्रसन्न गाय उसे एक दिन स्याहू की माता के पास ले जाती है। रास्ते में गरुड़ पक्षी के बच्चे को सांप मारने वाली होता है, लेकिन साहूकार की छोटी बहू सांप को मारकर गरुड़ पक्षी के बच्चे को जीवनदान देती है। तब तक उस गरुड़ पक्षी की मां आ जाती है। वह पूरी घटना सुनने के बाद उससे प्रभावित होती है और उसे स्याहू की माता के पास ले जाती है।

स्याहू की माता जब साहूकार की छोटी बहू की परोपकार और सेवाभाव की बातें सुनती है तो प्रसन्न होती है। फिर उसे सात संतान की माता होने का आशीर्वाद देती है। आशीर्वाद के प्रभाव से साहूकार की छोटी बहू को सात बेटे होते हैं, जिससे उसकी सात बहुएं होती हैं। उसका परिवार बड़ा और भरापूरा होता है। वह सुखी जीवन व्यतीत करती है। अहोई माता की पूजा करने बाद अहोई अष्टमी व्रत कथा अवश्य सुनना चाहिए।

अहोई आठे व्रत आरती PDF / Ahoi Aathe Vrat Ki Aarti PDF

जय अहोई माता, जय अहोई माता!

तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।

ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।

माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।

जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।

तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।

जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।

कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।

तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।

खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।

शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।

रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।

श्री अहोई मां की आरती जो कोई गाता।

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।

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