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धनत्रयोदशी व्रत कथा | Dhantrayodashi Vrat Katha PDF in Hindi

धनत्रयोदशी व्रत कथा | Dhantrayodashi Vrat Katha Hindi PDF Download

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धनत्रयोदशी व्रत कथा | Dhantrayodashi Vrat Katha PDF Details
धनत्रयोदशी व्रत कथा | Dhantrayodashi Vrat Katha
PDF Name धनत्रयोदशी व्रत कथा | Dhantrayodashi Vrat Katha PDF
No. of Pages 5
PDF Size 0.44 MB
Language Hindi
Categoryहिन्दी | Hindi
Source pdffile.co.in
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धनत्रयोदशी व्रत कथा | Dhantrayodashi Vrat Katha Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए धनत्रयोदशी व्रत कथा PDF / Dhantrayodashi Vrat Katha PDF in Hindi प्रदान करने जा रहे हैं। धनत्रयोदशी का पर्व अत्यंत ही प्रचलित त्योहार माना जाता है। इस दिन धन प्राप्ति हेतु भगवान धन्वंतरि जी तथा कुबेर का पूजन बड़े ही भक्ति-भाव से किया जाता है।

भगवान धन्वतरि जी तथा कुबेर जी की का पूजन करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा-अर्चना श्रद्धा-भाव से करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इस दिन जो भी मनुष्य विधि-विधान से इनकी पूजा करता है तथा व्रत कहानी को पढ़ता अथवा सुनता है उसे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।

जो भी भक्त बहुत समय से गरीबी से पीड़ित हैं तो धनतेरस अर्थात धन त्रयोदशी पर्व पर कुबेर तथा धन्वंतरि जी का पूजन करने से गरीबी का नाश होता है तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसीलिए अगर आप भी अपने जीवन में धन-संपत्ति प्राप्त करना चाहते हैं तो धनत्रयोदशी के दिन धन्वंतरि जी तथा कुबेर जी का विधिपूर्वक पूजन अवश्य करें साथ ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु व्रत कहानी भी अवश्य पढ़ें या सुनें।

धनत्रयोदशी की कहानी PDF / Dhantrayodashi Ki Kahani PDF

एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे तब लक्ष्मी जी ने भी उनसे साथ चलने का आग्रह किया। तब विष्णु जी ने कहा कि यदि मैं जो बात कहूं तुम अगर वैसा ही मानो तो फिर चलो। तब लक्ष्मी जी उनकी बात मान गईं और भगवान विष्णु के साथ भूमंडल पर आ गईं।

कुछ देर बाद एक जगह पर पहुंचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं न आऊं तुम यहां ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं,तुम उधर मत आना। विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी के मन में कौतुहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और भगवान स्वयं चले गए।

लक्ष्मी जी से रहा न गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया जिसमें खूब फूल लगे थे। सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं। आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मी जी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं।

उसी क्षण विष्णु जी आए और यह देख लक्ष्मी जी पर नाराज होकर उन्हें शाप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था,पर तुम न मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी। अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। तब लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं।

एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो,फिर रसोई बनाना,तब तुम जो मांगोगी मिलेगा। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया।

पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न,धन,रत्न,स्वर्ण आदि से भर गया। लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए। फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं।

विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया। तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है,यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं। तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है। किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा।

तब लक्ष्मीजी ने कहा कि हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो। कल तेरस है। तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और शायंकाल मेरा पूजन करना और एक तांबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना,मैं उस कलश में निवास करूंगी। किंतु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी।

इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी। यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं। अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।

इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी।

धनत्रयोदशी पूजन मुहूर्त 2022 / Dhantrayodashi Pujan Muhurt 2022

धनतेरस पूजा मुहूर्त – 07:01 पी एम से 08:17 पी एम अवधि – 01 घण्टा 16 मिनट्स

यम दीपम शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 को

प्रदोष काल – 05:45 पी एम से 08:17 पी एम

वृषभ काल – 07:01 पी एम से 08:56 पी एम

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 22, 2022 को 06:02 पी एम बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 पी एम बजे

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