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गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi

गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha Hindi PDF Download

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गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha PDF Details
गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha
PDF Name गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha PDF
No. of Pages 2
PDF Size 0.28 MB
Language Hindi
Categoryहिन्दी | Hindi
Source pdffile.co.in
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गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha Hindi

नमस्कार पाठकों, आज हम आपके लिए गुरु प्रदोष व्रत कथा इन हिंदी पीडीएफ / Guru Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi लाए हैं। गुरु प्रदोष व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत गुरु बृहस्पति देव को समर्पित है। गुरु बृहस्पति देव को बृहस्पति ग्रह के रूप में भी जाना जाता है। वह  ज्ञान के ग्रह भी माने जाते हैं। गुरुवार के दिन त्रियोदशी तिथि पड़ने से गुरु प्रदोष व्रत पड़ता है।

इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती जी की प्रदोष काल में श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है तथा बहुत से भक्त इस दिन गुरु बृहस्पति जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए विशेष पूजा करते हैं। इसके अलावा गुरु बृहस्पति प्रदोष व्रत देवताओं के गुरु, भगवान बृहस्पति की पूजा करने का एक शुभ दिन भी माना जाता है।

यह उपवास सूर्योदय से सूर्यास्त तक मनाया जाता है और भक्त भगवान बृहस्पति की पूजा करने के बाद उपवास तोड़ते हैं। पूजा में मंत्रों का जाप, शास्त्र पढ़ना और यज्ञ करना शामिल है। गुरु बृहस्पति प्रदोष व्रत ज्ञान प्राप्त करने के लिए लाभदायक माना जाता है। इसे किसी के जीवन से बाधाओं को दूर करने में भी सहायक माना जाता है। अगर आप गुरु बृहस्पति जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इस व्रत का पालन करते हुए गुरु प्रदोष व्रत कथा भी अवश्य पढ़ें।

गुरु प्रदोष व्रत कथा PDF / Guru Pradosh Vrat Katha in Hindi PDF

  • एक बार की बात है असुर राज वृत्रासुर की सेना ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया. भयंकर युद्ध हुआ जिसमें असुर सेना हार गई. जिसकी सूचना वृत्रासुर को हुई तो वह क्रोधित हो गया. और स्वयं युद्ध का निर्णय लिया वह बहुत मायावी था. उसने विशालकाय रूप धारण किया.
  • इसे देखकर सभी देवी देवता डर गए. वे भागकर गुरुदेव बृहस्पति की शरण में गए. गुरुदेव बृहस्पति ने देवताओं को यह जानकारी दी कि वृत्रासुर गंधमादन पर्वत पर बरसो की कठोर तपस्या के उपरांत शिव को प्रसन्न किया था. उस समय उसने माता पार्वती को भगवान शिव के बाएं बैठ देख उनका उपहास उड़ाया था.
  • तब माता पार्वती ने क्रोधित होकर कहा कि दुष्ट तुमने उनका और उनके आराध्य भोलेनाथ का अपमान किया है. इस वजह से तुझे श्राप देती हूं कि तुम राक्षस बन कर आसमान से नीचे धरती पर गिर पड़ोगे. उस श्राप के कारण ही राजा चित्ररथ, वृत्रासुर बन गया.
  • देव गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र से कहा कि वह बचपन से ही भगवान शिव का परम भक्त है. ऐसे में सभी देव गुरु प्रदोष व्रत करें और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करें. देव गुरु के बताए गए व्रत विधि को ध्यान में रखकर इंद्रदेव ने गुरु प्रदोष व्रत को विधि विधान से किया. इस प्रकार जो लोग गुरु प्रदोष व्रत रखते हैं.
  • भगवान शिव की पूजा करते हैं. वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं. शिव कृपा से शत्रुओं को परास्त करने में सफलता प्राप्त होती है.

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि / Guru Pradosh Vrat 2022 puja vidhi

  • सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और सफेद या पीले वस्त्र धारण करें.
  • इस दिन काले रंग के कपड़ों से बचना है.
  • इस दिन पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करना है.
  • शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का दूध, दही और मंचामृत से अभिषेक करें.
  • उसके बाद भगवान शिव को पीले या सफेद चंदन से टीका लगाएं.
  • भगवान शिव को भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें और उन्हें पुष्प चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करें.
  • साथ ही साथ ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप भी करना है.
  • माता पार्वती का भी ध्यान लगाना है।

गुरु प्रदोष व्रत उद्यापन विधि / Guru Pradosh Vrat Udyapan Vidhi

स्कंद पुराणके अनुसार व्रती को कम-से-कम 11 अथवा 26 त्रयोदशी व्रत के बाद उद्यापन करना चाहिये। उद्यापन के एक दिन पहले( यानी द्वादशी तिथि को) श्री गणेश भगवान का विधिवत षोडशोपचार विधि से पूजन करें तथा पूरी रात शिव-पार्वती और श्री गणेश जी के भजनों के साथ जागरण करें। उद्यापन के दिन प्रात:काल उठकर नित्य क्रमों से निवृत हो जायें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें।

पूजा स्थल पर रंगीन वस्त्रों और रंगोली से मंडप बनायें। मण्डप में एक चौकी अथवा पटरे पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। भोग लगायें। गुरु प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा सुनायें।

अब हवन के लिये सवा किलो (1.25 किलोग्राम) आम की लकड़ी को हवन कुंड में सजायें। हवन के लिये गाय के दूध में खीर बनायें। हवन कुंड का पूजन करें । दोनों हाथ जोड़कर हवन कुण्ड को प्रणाम करें। अब अग्नि प्रज्वलित करें। तदंतर शिव-पार्वती के उद्देश्य से खीर से ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का उच्चारण करते हुए 108 बार आहुति दें।

हवन पूर्ण होने के पश्चात् शिव जी की आरती करें । ब्राह्मणों को सामर्थ्यानुसार दान दें एवं भोजन करायें। आप अपने इच्छानुसार एक या दो या पाँच ब्राह्मणों को भोजन एवं दान करा सकते हैं। यदि भोजन कराना सम्भव ना हो तो किसी मंदिर में यथाशक्ति दान करें। इसके बाद बंधु बांधवों सहित प्रसाद ग्रहण करें एवं भोजन करें।

इस प्रकार उद्यापन करने से व्रती पुत्र-पौत्रादि से युक्त होता है तथा आरोग्य लाभ होता है। इसके अतिरिक्त वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है एवं सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर शिवधाम को पाता है।

गुरु प्रदोष व्रत का महत्व

गुरु प्रदोष व्रत आपको हर दिशा में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है और आप इस प्रदोष व्रत का पालन करके सभी कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्रती के सारे दोष खत्म हो जाते हैं.

शास्त्रों में सप्ताह के वार अनुसार प्रदोष व्रत का महत्व और प्रभाव बताया गया है. जब कभी भी प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ता है तो उसे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए खास माना जाता है.

भाद्रपद गुरु प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त / Guru Pradosh shubh muhurat

त्रयोदशी तिथि आरंभ: 8 सितंबर, गुरुवार, 12:04 AM सेत्रयोदशी तिथि समाप्त: 9 सितंबर, शुक्रवार, 09:02 मिनट परपूजा का शुभ मुहूर्त: 8 सितंबर, गुरुवार, सायं 06:40 मिनट से रात्रि 08:58 मिनट तकपूजा का कुल समय: 2 घंटे 18 मिनट

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