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हलषष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha Puja Vidhi PDF in Hindi

हलषष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha Puja Vidhi Hindi PDF Download

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हलषष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha Puja Vidhi PDF Details
हलषष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha Puja Vidhi
PDF Name हलषष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha Puja Vidhi PDF
No. of Pages 5
PDF Size 0.57 MB
Language Hindi
Categoryहिन्दी | Hindi
Source pdffile.co.in
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हलषष्ठी व्रत कथा | Hal Sashti Vrat Katha Puja Vidhi Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए हलषष्ठी व्रत कथा / Hal Shashthi Vrat Katha PDF प्रदान करने जा रहे हैं। हिन्दू धर्म में हलषष्ठी व्रत को बहुत अधिक महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। यह व्रत भगवान बलराम जी को समर्पित है। यह तो आप जानते ही होंगे कि बलराम जी भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं। इस व्रत का पालन रक्षाबंधन के पर्व के 6 दिन बाद किया जाता है।

अर्थात इस हलषष्ठी व्रत का पालन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को बड़े ही भक्ति-भाव के साथ किया जाता है। इस दिन बलराम भगवान की श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। हालांकि, छठ पूजा का पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से शुरू होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कोई भी पूजा आरती के बिना पूरी नहीं होती है। इसीलिए हलषष्ठी व्रत या हरछठ की पूजा करते समय छठ मईया की आरती करना अत्यंत आवश्यक होता है।

यह आरती आपको इस लेख के माध्यम से आसानी से प्राप्त हो जाएगी। इसी प्रकार हलषष्ठी व्रत में हलषष्ठी व्रत कथा भी अवश्य पढ़ें या सुने क्योंकि बिना कथा पढ़ें या सुने व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता। इस व्रत को सुहागिन स्त्रियाँ अपने पुत्रों की लंबी आयु के लिए करती हैं। बहुत-सी गर्भवती स्त्रियाँ भी पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन बड़े ही विधि-विधान से करती हैं।

हलषष्ठी व्रत कथा हिंदी PDF / Hal Sashti Vrat Katha in Hindi PDF

  • हरछठ पर क्षेत्रीय स्तर पर वैसे तो बहुत सी कथाएं कही जाती हैं लेकिन यह कथा विशेष रूप से प्रचलित है। एक ग्वालिन दूध दही बेचकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। एक बार वह गर्भवती और दूध बेचने जा रही थी तभी रास्ते में उसे प्रसव पीड़ा होने लगी।
  • इस पर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहीं पर एक पुत्र को जन्म दिया। ग्वालिन को दूध खराब होने की चिंता थी इसलिए वह अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाकर पास के गांव में दूध बेचने के लिए चली गई।
  • उस दिन हर छठ व्रत था और सभी को भैंस का दूध चाहिए था लेकिन ग्वालिन ने गाय के दूध को भैंस का बताकर सबको दूध बेच दिया। इससे छठ माता को क्रोध आया और उन्होंने उसके बेटे के प्राण हर लिए।
  • ग्वालिन जब लाैटकर आई तो रोने लगी और अपनी गलती का अहसास किया। इसके बाद सभी के सामने अपना गुनाह स्वीकार पैर पकड़कर माफी मांगी।
  • इसके बाद हर छठ माता प्रसन्न हो गई और उसके पुत्र को जीवित कर दिया। इस वजह से ही इस दिन पुत्र की लंबी उम्र हेतु हर छठ का व्रत व पूजन होता है।

हलषष्ठी पूजा विधि / Hal Shashti Puja Vidhi

  • हलषष्ठी पर्व के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत्त होकर दीवार पर गोबर से हरछठ का चित्र मनाया जाता है।
  • इस व्रत की पूजा हेतु भेंस के गोबर से पूजा घर में घर की दीवाल पर हर छठ माता का चित्र बनाया जाता हैं एवं ऐपन तैयार किया जाता हैं। उससे चित्र का श्रृंगार किया जाता हैं।
  • इस चित्र में गणेश-लक्ष्मी, शिव-पार्वती, सूर्य-चंद्रमा, गंगा-जमुना आदि के चित्र बनाए जाते हैं।
  • कई मान्यतानुसार इस चित्र में हल, सप्त ऋषि, पशु ,किसान कई चित्र बनाये जाते हैं।
  • कई परिवार केवल हाथों के छापे बनाकर उनकी पूजा करते हैं।
  • हाथों में ऐपन लगाकर उसके छापे दीवार पर बनाकर उनकी पूजा की जाती हैं।
  • पूजा के लिए पाटे या चौकी पर कलश सजाया जाता हैं। उस पर गणेश जी एवं माता गौरी को स्थापित किया जाता हैं।
  • इसके बाद मिट्टी के कुल्वे में ज्वार की धानी एवम महुआ का फल भरा जाता हैं।
  • एक मटकी में देवली छेवली को रखा जाता हैं।
  • सबसे पहले कलश की पूजा कर फिर गणेश जी तथा माता गौरा की पूजा की जाती हैं, फिर हरछठ माता की पूजा की जाती हैं।
  • उसके बाद कुल्वे एवं मटकी की पूजा की जाती हैं।
  • हरछठ के पास कमल के फूल, छूल के पत्ते व हल्दी से रंगा कपड़ा भी रखें।
  • इस दिन बिना हल से जूते खाद्य पदार्थ खाये जाते हैं, पसई धान के चावल, भेंस के दूध का उपयोग भोजन में किया जाता हैं तथा भोजन पूजा के बाद किया जाता हैं।
  • इसीलिए हलषष्ठी की पूजा में पसाई के चावल, महुआ व दही आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  • इस पूजा में सतनजा यानी कि सात प्रकार का भुना हुआ अनाज चढ़ाया जाता है।
  • इसमें भूने हुए गेहूं, चना, मटर, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर आदि शामिल होते हैं।
  • पूजा के पश्चात हलषष्ठी माता की कथा सुनने का भी विधान है।
  • अंत में माता जी की आरती की जाती हैं।
  • आरती के बाद वही बैठकर महुयें के पत्ते पर महुये का फल रख कर उसे भैंस के दूध से बने दही के साथ खाया जाता हैं।
  • पूजा के बाद व्रत पूरा करने हेतु भोजन में पसई धान के चावल तथा भैंस के दूध से बनी वस्तुयें खा सकते हैं।

ऐपन बनाने की विधि

पूजा के चावल को पानी में भीगा कर रखा जाता हैं। फिर उसे सिल बट्टे पर पिस कर उसमे हल्दी मिलाई जाती हैं। एक लेप की तरह घोल तैयार होता हैं उसे ऐपन कहते हैं।

छठी मैया की आरती  / Chhathi Maiya Aarti Lyrics

जय छठी मैया

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥मंडराए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

हल षष्ठी पूजा सामग्री लिस्ट / Hal Shashti Puja Samagri List

क्र सामग्री
1 भेंस का दूध, घी, दही गोबर.
2 महुये का फल, फुल एवम पत्ते
3 जवार की धानी
4 ऐपन
5 कुल्वे (छोते से मिट्टी के कुल्हड़ )
6 देवली छेवली (बांस और महुये के पत्ते से बना होता हैं)

हल षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त / Hal Sashti Shubh Muhurat 2022

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि कल 16 अगस्त 2022 रात्रि 08:17 बजे प्रारंभ होकर आज 17 अगस्त 2022 की रात्रि 08:24 बजे तक रहेगी।

जैसा कि आप जानते होंगे कि हिंदू धर्म में उदया तिथि में ही पर्वों को मनाने की परंपरा है इसलिए हलषष्ठी व्रत या बलराम जयंती आज 17 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी।

हलषष्ठी व्रत कब है / Hal Sashti Vrat Kab Hai 2022

इस वर्ष हलषष्ठी व्रत 17 अगस्त बुधवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन को बलराम जयंती (Balram Jayanti) के रूप में भी मनाया जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि कल 16 अगस्त 2022 रात्रि 08:17 बजे प्रारंभ होकर आज 17 अगस्त 2022 की रात्रि 08:24 बजे तक रहेगी।

हरछठ क्यों मनाया जाता है?

हरछठ को अलग-अलग जगहों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है कहीं पर इसे हरछठ तो कहीं हलषष्ठी या ललही छठ भी कहते हैं। कई मान्यताओं के अनुसार हर छठ का व्रत का पालन केवल पुत्रवती महिलाएं कर सकती हैं।

हलषष्ठी का व्रत कब किया जाता है?

जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि भारत में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। इसी प्रकार रक्षा बंधन या श्रावण पूर्णिमा के ठीक 6 दिन बाद, भारत में हरछठ या हलषष्ठी व्रत का पालन किया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हलषष्ठी का व्रत भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर किया जाता है।

हरछठ व्रत कैसे किया जाता है?

हलछठ व्रत में गाय का दूध या दही के उपयोग वर्जित होता है। इसीलिए इस दिन केवल भैंस के दूध या दही का ही सेवन किया जाता है। इसके अतिरिक्त हल से जोता हुआ कोई अन्न या फल का भी सेवन नहीं किया जाता है।

हरछठ कैसे बनाया जाता है?

हरछठ के व्रत में महिलाएं सुबह से उठकर महुआ की दातुन से अपना मुंह साफ करती हैं और इसमें भैंस के दूध का प्रयोग किया जाता है इसमें गाय के दूध का प्रयोग नहीं किया जाता। माना जाता है कि हर छठ के दिन ही श्री कृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जी का जन्म हुआ था। इसीलिए इसे कहीं कहीं पर बलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

हरछठ की पूजा शाम के समय की जाती है।इस पूजा में सभी माताएं अपने अपने पुत्रों की लंबी उम्र की कामना करती है। इस त्यौहार का चलन मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा है।

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