PDFSource

ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha PDF in Hindi

ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha Hindi PDF Download

ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha Hindi PDF Download for free using the direct download link given at the bottom of this article.

ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha PDF Details
ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha
PDF Name ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha PDF
No. of Pages 5
PDF Size 0.56 MB
Language Hindi
Categoryहिन्दी | Hindi
Source pdffile.co.in
Download LinkAvailable ✔
Downloads154
If ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha is a illigal, abusive or copyright material Report a Violation. We will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए ललही छठ की कहानी / Lalahi Chhath Ki Kahani PDF in Hindi प्रदान करने जा रहे हैं। हिन्दू धर्म में ललही छठ व्रत को अत्यधिक फलदायक एवं महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस व्रत का पालन माताएँ अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए करती हैं। यह व्रत बलराम जी को समर्पित है तथा बलराम जी भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई हैं।

सनातन हिन्दू धर्म में बलराम जी को भगवान श्री हरी विष्णु जी का आठवाँ अवतार माना जाता है। ललही छठ व्रत का पालन बलराम जी की जयंती के दिन किया जाता है। ललाही छठ को हल षष्ठी अथवा हरछठ के नाम से भी जाना जाता है। बलराम जी को शेषनाग के अवतार के रूप में भी पूजा जाता है, जिन शेषनाग पर भगवान श्री हरी विष्णु जी विश्राम करते हैं। इन शेषनाग को आदिशेष के नाम से भी जाना जाता है।

विभिन्न क्षेत्रों में ललाही छठ को बलदेव छठ के नाम से भी जाना जाता है और गुजरात में इस दिन को रंधन छठ के रूप में मनाया जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से गर्भवती स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है। सुहागिन स्त्रियाँ इस दिन बड़े ही भक्ति-भाव से अपने पुत्रों की दीर्घायु हेतु सारे दिन इस व्रत का पालन करती हैं। अगर आप भी पुत्र की प्राप्ति करना चाहती हैं तो इस व्रत पालन अवश्य करें, साथ ही ललही छठ व्रत की कहानी को भी पढ़ें अथवा सुनें।

ललही छठ की कथा PDF / Lalahi Chhath Vrat ki katha in Hindi PDF

  • प्राचीन काल में एक ग्वालिन थी। उसका प्रसवकाल अत्यंत निकट था। एक ओर वह प्रसव से व्याकुल थी तो दूसरी ओर उसका मन गौ-रस (दूध-दही) बेचने में लगा हुआ था। उसने सोचा कि यदि प्रसव हो गया तो गौ-रस यूं ही पड़ा रह जाएगा। यह सोचकर उसने दूध-दही के घड़े सिर पर रखे और बेचने के लिए चल दी किन्तु कुछ दूर पहुंचने पर उसे असहनीय प्रसव पीड़ा हुई।
  • वह एक झरबेरी की ओट में चली गई और वहां एक बच्चे को जन्म दिया। वह बच्चे को वहीं छोड़कर पास के गांवों में दूध-दही बेचने चली गई। संयोग से उस दिन हलषष्ठी थी। गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने सीधे-सादे गांव वालों में बेच दिया। उधर जिस झरबेरी के नीचे उसने बच्चे को छोड़ा था, उसके समीप ही खेत में एक किसान हल जोत रहा था।
  • अचानक उसके बैल भड़क उठे और हल का फल शरीर में घुसने से वह बालक मर गया। इस घटना से किसान बहुत दुखी हुआ, फिर भी उसने हिम्मत और धैर्य से काम लिया। उसने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और उसे वहीं छोड़कर चला गया। कुछ देर बाद ग्वालिन दूध बेचकर वहां आ पहुंची।
  • बच्चे की ऐसी दशा देखकर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसके पाप की सजा है। वह सोचने लगी कि यदि मैंने झूठ बोलकर गाय का दूध न बेचा होता और गांव की स्त्रियों का धर्म भ्रष्ट न किया होता तो मेरे बच्चे की यह दशा न होती। अतः मुझे लौटकर सब बातें गांव वालों को बताकर प्रायश्चित करना चाहिए।
  • ऐसा निश्चय कर वह उस गांव में पहुंची, जहां उसने दूध-दही बेचा था। वह गली-गली घूमकर अपनी करतूत और उसके फलस्वरूप मिले दंड का बखान करने लगी। तब स्त्रियों ने स्वधर्म रक्षार्थ और उस पर रहम खाकर उसे क्षमा कर दिया और आशीर्वाद दिया।
  • बहुत-सी स्त्रियों द्वारा आशीर्वाद लेकर जब वह पुनः झरबेरी के नीचे पहुंची तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि वहां उसका पुत्र जीवित अवस्था में पड़ा है। तभी उसने स्वार्थ के लिए झूठ बोलने को ब्रह्म हत्या के समान समझा और कभी झूठ न बोलने का प्रण कर लिया।

ललई छठ पूजा विधि / Lalahi Chhath Puja Vidhi

  • हलषष्ठी के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत्त होकर दीवार पर गोबर से हरछठ चित्र मनाया जाता है।
  • इसमें गणेश-लक्ष्मी, शिव-पार्वती, सूर्य-चंद्रमा, गंगा-जमुना आदि के चित्र बनाए जाते हैं।
  • इसके बाद हरछठ के पास कमल के फूल, छूल के पत्ते व हल्दी से रंगा कपड़ा भी रखें।
  • ललही छठ पर महिलाएं पुत्र की संख्या के हिसाब से छह मिट्टी के बर्तनों में 6,7 भुने हुए अनाज या मेवा रखती हैं।
  • विधि विधान से ललही छठ पर पूजा पाठ करती हैं।
  • ललही छठ पर महिलाएं गड्ढा बनाती हैं और उसे गोबर से लीप कर तालाब का रूप देती हैं।
  • हलषष्ठी की पूजा में पसाई के चावल, महुआ व दही आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  • इस पूजा में सतनजा यानी कि सात प्रकार का भुना हुआ अनाज चढ़ाया जाता है।
  • इसमें भूने हुए गेहूं, चना, मटर, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर आदि शामिल होते हैं।
  • इसके बाद ललही छठ की कथा सुनने का भी विधान है।
  • कहा जाता है कि व्रत के दौरान हल जोत कर उगाए अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
  • इस तरह पूजा पाठ कर रात्रि में चांद देख कर व्रत खोला जाता है।

ललही छठ पूजा सामग्री / Lalahi Chhath Puja Samagri

क्र. सामग्री
1. भेंस का दूध, घी, दही गोबर.
2. महुये का फल, फुल एवम पत्ते
3. जवार की धानी
4. ऐपन
5. कुल्वे (छोते से मिट्टी के कुल्हड़ )
6. देवली छेवली (बांस और महुये के पत्ते से बना होता हैं)

ललही छठ व्रत का महत्व / Lalahi Chhath Vrat Ka Mahatva

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के भाई दाऊ (बलराम) का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के षष्ठी तिथि के दिन हुआ था। इसलिए इसे बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है। बलराम का मुख्य शस्त्र हल और मूसल है, इसलिए इन्हें हलधर भी कहा जाता है। यही कारण भी है कि इस व्रत में बिना जोते हुए खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाता हैं।

माना जाता है कि हल षष्ठी या ललही छठ पर संतान के सुख, समृद्धि और उसके स्वास्थ्य के लिए व्रत रखा जाता है। पुत्रवती महिलाएं हल षष्ठी पर पूजन करती हैं। मान्यता है कि हल षष्ठी व्रत रखने से संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं और पुत्रों को दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता है।

ललही छठ पूजा मुहूर्त 2022 / Lalahi Chhath Puja Muhurt 2022

षष्ठी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 16, 2022 को 08:17 पी एम बजे

षष्ठी तिथि समाप्त – अगस्त 17, 2022 को 08:24 पी एम बजे

क्यों मनाई जाती है हल षष्ठी या ललही छठ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मोत्सव के रूप में हल षष्ठी या ललही छठ का पर्व मनाया जाता है। बलराम को शेषनाग का अवतार ​माना जाता है क्योंकि श्री कृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के रूप में अवतार लिया था।

इसीलिए हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को हल षष्ठी (Hal Shashthi) या ललही छठ मनाई जाती है। इसे हरछठ, ललई छठ के नाम से भी जाना जाता है।

नीचे दिये गए डाउनलोड बटन के माध्यम से आप ललही छठ की कहानी PDF को आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।


ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha PDF Download Link

Report a Violation
If the download link of Gujarat Manav Garima Yojana List 2022 PDF is not working or you feel any other problem with it, please Leave a Comment / Feedback. If ललही छठ व्रत कथा | Lalahi Chhath Vrat Katha is a copyright, illigal or abusive material Report a Violation. We will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published.

हिन्दी | Hindi PDF