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मानवाधिकार PDF in Hindi

मानवाधिकार Hindi PDF Download

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मानवाधिकार PDF Details
मानवाधिकार
PDF Name मानवाधिकार PDF
No. of Pages 24
PDF Size 0.21 MB
Language Hindi
CategoryEnglish
Source ohchr.org
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मानवाधिकार Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए मानवाधिकार PDF in Hindi / Manav Adhikar PDF in Hindi प्रदान करने जा रहे हैं, जिसके द्वारा आप मानव अधिकारों Human Rights PDF के बारे में विस्तृत रूप से जान सकते हैं। यह आपके लिए मानव जीवन में ही नहीं वरन शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत ही उपयोगी होंगे। मानवाधिकार एक ऐसा विषय है जिस पर सदैव से ही वाद-विवाद होते चले आ हैं, इसीलिए इस लेख के द्वारा आप अपने अधिकारों के बारे में आसानी से जान पाएंगे।

मानवाधिकार का अभिप्राय किसी भी मनुष्य के जीवन की आजादी, बराबरी और सम्मान के अधिकार को लेकर माना जाता है। मानव अधिकार के तहत व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान का अधिकार मिलता है। संविधान में बनाये गए अधिकारों से बढ़कर महत्व मानवाधिकारों का माना जा सकता है। मानव अधिकारों में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के समक्ष समानता का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार आदि नागरिक और राजनैतिक अधिकार भी सम्मिलित हैं।

मानव अधिकार दिवस 10 दिसम्बर को पूरे विश्वभर में मनाया जाता है। मानवाधिकार दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में की थी। उसने 1948 में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा स्वीकार की थी और 1950 से महासभा ने सभी देशों को इसकी शुरुआत के लिए आमंत्रित किया था।

मानवाधिकार PDF in Hindi

  • एक वाक्य में कहें तो मानवाधिकार हर व्यक्ति का नैसर्गिक या प्राकृतिक अधिकार है। इसके दायरे में जीवन, आज़ादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार आता है।
  • इसके अलावा गरिमामय जीवन जीने का अधिकार, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार भी इसमें शामिल हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए मानवाधिकार संबंधी घोषणापत्र में भी कहा गया था कि मानव के बुनियादी अधिकार किसी भी जाति, धर्म, लिंग, समुदाय, भाषा, समाज आदि से इतर होते हैं। रही बात मौलिक अधिकारों की तो ये देश के संविधान में उल्लिखित अधिकार है।
  • ये अधिकार देश के नागरिकों को और किन्हीं परिस्थितियों में देश में निवास कर रहे सभी लोगों को प्राप्त होते हैं।
  • यहाँ पर एक बात और स्पष्ट कर देना उचित है कि मौलिक अधिकार के कुछ तत्त्व मानवाधिकार के अंतर्गत भी आते हैं जैसे- जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता का अधिकार।

मानवाधिकार की परिभाषा PDF

मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो मानव को समाज एवं कानून सभी कार्यों को सम्पादित करने की पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान करते हैं। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि ऐसे अधिकार जो प्रत्येक मनुष्य को जन्मजात प्राप्त होते है, मानवाधिकार कहलाते हैं। मानव अधिकार शब्द हिन्दी का युग्म शब्द है जो दो शब्दो मानव + अधिकार से मिलकर बना है। मानव अधिकारों से आशय मानव के अधिकार से है।
मानव अधिकार शब्द को पूर्णत: समझने के पूर्व हमें अधिकार शब्द को समझना होगा –
  • ‘‘अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है जिसके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति पूर्ण आत्म-विकास की आशा नहीं कर सकता।’’ – हैराल्ड लास्की
  • ‘‘कुछ विशेष कार्यो के करने की स्वतंत्रता की विवेकपूर्ण माँग को अधिकार कहा जाता है।’’ बोसांके के शब्दो में, ‘‘अधिकार वह माँग है जिसे समाज स्वीकार करता है और राज्य लागू करता है।’’ – वाइल्ड
मानव अधिकार को विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से परिभाषित करने का प्रयास किया है – 
आर.जे. विसेंट का मत है कि ‘‘मानव अधिकार वे अधिकार है जो प्रत्येक व्यक्ति को मानव होने के कारण प्राप्त है। इन अधिकारों का आधार मानव स्वभाव में निहित है।’’
ए.ए. सईद के अनुसार, ‘‘मानव अधिकारों का सम्बन्ध व्यक्ति की गरिमा से है एवं आत्म-सम्मान का भाव जो व्यक्तिगत पहचान को रेखांकित करता है तथा मानव समाज को आगे बढाता है।’’
डेविड सेलवाई का विचार है कि ‘‘मानव अधिकार संसार के समस्त व्यक्तियों को प्राप्त है, क्योंकि ये स्वयं में मानवीय है वे पैदा नही किये जा सकते, खरीद या संविदावादी प्रक्रियाओं से मुक्त होते है।’’
डी.डी. बसु का मत है कि ‘‘मानव अधिकार वे अधिकार है जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के मानव परिवार का सदस्य होने के कारण राज्य तथा अन्य लोक सेवक के विरूद्ध प्राप्त होने चाहिए।’’
प्लानों तथा ओल्टन की परिभाषा सर्वाधिक संतुलित है, ‘‘मानव अधिकार वे अधिकार है जो मनुष्य के जीवन, उसके अस्तित्व एवं व्यक्तित्व के विकास के लिए अनिवार्य है।’’ सभी लेखकों का जोर मुख्यत: तीन बातों पर है, पहला मानव स्वभाव, दूसरा मानव गरिमा तथा तीसरा समाज का अस्तित्व।

मानव अधिकार के प्रकार

  • प्राकृतिक अधिकार
मनुष्य अपने जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर उत्पन्न होता है। यह अधिकार उसे प्रकृति से प्राप्त होते है। प्रकृति से प्राप्त होने के कारण ये स्वाभाविक रूप से मानव स्वभाव मे निहित होते है। जैसे जीवित रहने का अधिकार, स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करने का अधिकार।
  • नैतिक अधिकार
नैतिक अधिकारों का स्त्रोत समाज का विवेक है। नैतिक अधिकार वे अधिकार है जिनका सम्बन्ध मानव के नैतिक आचरण से होता है। नैतिक अधिकार राज्य द्वारा सुरक्षित नही होते, अत: इनका मानना व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर होता है। नैतिक अधिकारों को धर्मशास्त्र तथा जनता की आत्मिक चेतना के दबाव में स्वीकार करवाया जाता है।
  • कानूनी अधिकार
कानूनी अधिकार वे होते है, जिनकी व्यवस्था राज्य द्वारा कानून के अनुसार की जाती है और जिनका उल्लंघन राज्य द्वारा दण्डनीय होता है। यह अधिकार न्यायालय द्वारा लागू किये जाते है। सामाजिक जीवन का विकास होने के साथ-साथ इन अधिकारों में वृद्धि होती रहती है। कानून के समक्ष समानता तथा कानून का समान संरक्षण इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
  • नागरिक अधिकार
नागरिक और राजनीतिक अधिकार वे अधिकार होते है जो मानव को राज्य का सदस्य होने के नाते प्राप्त होते है। इन अधिकारों के माध्यम से व्यक्ति अपने देश के शासन प्रबंध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भाग लेता है। उदारवादी प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं मे नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों का विशिष्ट महत्व है।
  • मौलिक अधिकार

आधुनिक समय में प्रत्येक सभ्य राज्य संविधान बनाते समय उसमें मूल अधिकारों का प्रावधान करते है। जनतंत्र में व्यक्ति का महत्व होता है। संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख होने से स्वतंत्रता का दायरा स्पष्ट होता है तथा राजनीतिक मतभेदों से इन्हें ऊपर उठा दिया जाता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास के लिए इन अधिकारो को अपरिहार्य माना गया है।

  • आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में सबके साथ मिलकर रहना चाहता है। समाज का भाग होने के कारण वह कई आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं का सदस्य भी होता है ओर उनकी गतिविधियों में भाग लेता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

  • भारत ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन और राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन की व्यवस्था करके मानवाधिकारों के उल्लंघनों से निपटने हेतु एक मंच प्रदान किया है।
  • भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देश की सर्वोच्च संस्था के साथ-साथ मानवाधिकारों का लोकपाल भी है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश इसके अध्यक्ष होते हैं।
  • यह राष्ट्रीय मानवाधिकारों के वैश्विक गठबंधन का हिस्सा है। साथ ही यह राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के एशिया पेसिफ़िक फोरम का संस्थापक सदस्य भी है। NHRC को मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्द्धन का अधिकार प्राप्त है।
  • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993 की धारा 12(ज) में यह परिकल्पना भी की गई है कि NHRC समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकार साक्षरता का प्रसार करेगा और प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों तथा अन्य उपलब्ध साधनों के ज़रिये इन अधिकारों का संरक्षण करने के लिये उपलब्ध सुरक्षोपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा।
  • इस आयोग ने देश में आम नागरिकों, बच्चों, महिलाओं, वृद्धजनों के मानवाधिकारों, LGBT समुदाय के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिये समय-समय पर अपनी सिफ़ारिशें सरकार तक पहुँचाई हैं और सरकार ने कई सिफारिशों पर अमल करते हुए संविधान में उपयुक्त संशोधन भी किये हैं।

जानें अपने अधिकार-

इस लेख के माध्यम से आप जान पाएंगे कि सब लोग गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्र और बराबर हैं अर्थात सभी व्यक्तियों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है। प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के अधिकार और स्वतंत्रता दी गई है।

नीचे दिये गए मुख्य बिन्दुयों के माध्यम से आप विस्तृत रूप से मानव अधिकारों के बारे में जान सकते हैं:

  • प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, आजादी और सुरक्षा का अधिकार है। गुलामी या दासता से आजादी का अधिकार, अर्थात किसी भी व्यक्ति को गुलामी या दासता की हालत में नहीं रखा जा सकता, गुलामी-प्रथा और व्यापार पूरी तरह से निषिद्ध होगा।
  • यातना, प्रताड़ना या क्रूरता से आजादी का अधिकार अर्थात किसी को भी शारीरिक यातना नहीं दी जा सकती और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानवीय या अपमानजनक किया जा सकता है।
  • कानून के सामने समानता का अधिकार अर्थात हर किसी को, हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है।
  • कानून के सामने सभी को समान संरक्षण का अधिकार अर्थात कानून की निगाह में सभी समान हैं और सभी बिना भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा के अधिकारी हैं।
  • अपने बचाव में इंसाफ के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार, अर्थात सभी को संविधान या कानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों पर किसी के द्वारा अतिक्रमण कि‍ए जाने पर समुचित राष्ट्रीय अदालतों की सहायता पाने का अधि‍कार है।
  • मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारी, हिरासत में रखने या निर्वासन से आजादी का अधिकार, अर्थात किसी को भी मनमाने ढंग से
  • जब तक अदालत दोषी करार नहीं दे देती उस वक्त तक निर्दोष होने का अधिकार, अर्थात प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दंडनीय अपरोध का आरोप किया गया हो, तब तक निरपराध माना जाएगा, जब तक उसे ऐसी खुली अदालत में कानून के अनुसार अपराधी न सिद्ध कर दिया जाए, जहां उसे अपनी सफाई की सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हों।
  • घर, परिवार और पत्राचार में निजता का अधिकार, अर्थात किसी व्यक्ति की एकांतता, परिवार, घर, या पत्र व्यवहार के प्रति कोई मनमाना हस्तक्षेप न किया जाए, न ही किसी के सम्मान और ख्याति पर कोई आक्षेप हो।
  • इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपयोग किसी प्रकार से भी संयुक्त राष्ट्रों के सिद्धांतों और उद्देश्यों के विरुद्ध नहीं किया जाएगा।
  • इस घोषणापत्र में शामिल किसी भी बात की ऐसी व्याख्या न हो जिससे यह आभास मिले कि कोई राष्ट्र, व्यक्ति या गुट किसी ऐसी गतिविधि में शामिल हो सकता है जिससे किसी की स्वतंत्रता या अधिकारों का हनन हो।

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