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Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा) PDF in Hindi

Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा) Hindi PDF Download

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Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा) PDF Details
Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा)
PDF Name Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा) PDF
No. of Pages 112
PDF Size 20.04 MB
Language Hindi
CategoryEnglish
Download LinkAvailable ✔
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Navratri Path Book (नवरात्रि पाठ एवं कथा) Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी को नवरात्रि पाठ एवं कथा PDF / Navratri Path Book in Hindi PDF प्रदान करने जा रहे हैं। जो कि नवरात्रि पर्व के अवसर पर आप सभी के लिए माता की कृपा प्राप्त करने में बहुत ही महत्वपूर्ण होगी। जो भी भक्त नवरात्रि में देवी माँ को प्रसन्न करना चाहते हैं वे इस पोस्ट के द्वारा पीडीएफ़ डाउनलोड करके अत्यधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

नवरात्रि पर्व के नौ दिनों के पर्व का अपना ही एक अलग महत्व है। हर एक दिन देवी माँ के अलग – अलग रूप को समर्पित है। नवरात्रि पाठ बुक में नवरात्रि की सरल एवं सटीक पूजा विधि, नवरात्रि सम्पूर्ण कथा, नवरात्रि आरती, चालीसा तथा नवरात्रि के पूजन विधान के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आसान शब्दों में प्रदान की गयी है जो की विद्वानों द्वारा प्रामाणिक है। और आप सभी के लिए माता की कृपा प्राप्त करने में चमत्कारी सिद्ध होगी।

मातारानी के नौ रूप हैं जो की अलग- अलग नाम से जाने जाते हैं। प्रथम रूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. दूसरा नाम ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवीं माता का नाम स्कंदमाता है. देवी के छठे रूप को कात्यायनी कहते हैं, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री के नाम से प्रसिद्ध है।

नवरात्रि की प्रमुख कथा / Navratri Vrat Katha PDF

  • लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया।
  • यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम जी के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ।
  • दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग ‘कमलनयन नवकंच लोचन’ कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी माँ प्रकट हुई , हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा।
  • इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी… भूर्तिहरिणी में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है।
  • भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ‘करिणी’ का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ‘ह’ की जगह ‘क’ करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।

नवरात्रि की नौ देवियों के नाम / Navratri Ke Nau Din Ke Naam PDF

नवरात्रि, एक संस्कृत का शब्द, जिसका अर्थ होता है “नौ रातें”। नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है और इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा पूरे भारत में महान उत्साह के साथ की जाती है।

  • पहला दिन: शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री।
  • दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी।
  • तीसरा दिन: चंद्रघंटा – चंद्रमा की तरह चमकने वाली।
  • चौथा दिन: कूष्माण्डा – पूरा जगत उनके पैर में है।
  • पांचवा दिन: स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता।
  • छठा दिन: कात्यायनी – कात्यायन आश्रम में जन्मि।
  • सातवाँ दिन: कालरात्रि -काल का नाश करने वाली।
  • आठवाँ दिन: महागौरी – श्वेत रंग वाली मां।
  • नौवाँ दिन: सिद्धिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली।

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