10वीं कक्षा में विज्ञान लेने के लिए आवेदन पत्र

सेवा में
प्रधानाचार्य
केंद्रीय विद्यालय

अहमदाबाद गुजरात

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में दक्षिण कक्षा में पढ़ती हूं। इसी सत्र में मैंने बोर्ड की परीक्षा दी है। मेरे परिवार में ज्यादातर लोग इंजीनियरिंग के क्षेत्र में है , मुझे भी विज्ञान विषय में बहुत ही रुचि है और मैं भी इंजीनियर बनना चाहती हूं। दसवीं कक्षा में मैंने 90% अंक प्राप्त किए हैं और 92% मैंने विज्ञान के विषय में प्राप्त किए हैं। मैं आपसे यह प्रार्थना करती हूं कि मुझे 11वीं कक्षा में विज्ञान विषय लेने के लिए अनुमति दें और मैं इंजीनियर बनने का अपना सपना साकार कर सकूं।

आपकी अति कृपा होगी

धन्यवाद

आपकी आज्ञाकारी
निकिता शर्मा
कक्षा 10
8 अप्रैल 2021

नौकरी के लिए पत्र लेखन

परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 1 जनवरी, 20xx

प्रधानाचार्य जी
समरविला हाई स्कूल

मयूर विहार

दिल्ली-110091

विषय: हिंदी अध्यापक के पद हेतु आवेदन-पत्र

महोदय,
आपके द्वारा ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित विज्ञापन के प्रत्युत्तर में मैं हिंदी अध्यापक के पद हेतु अपना आवेदन-पत्र भेज रहा हूँ। मेरा व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है: नाम: क०ख०ग०, पिता का नाम: अब०स०, जन्म तिथि: 20 मई, 1970. क्षणिक योग्यता अर्थ:

– मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं की परीक्षा 1986 में 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
– मैंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से बारहवीं की परीक्षा 1988 में 78% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
– दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा 1992 में 72% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।
– मैंने रोहतक विश्वविद्यालय से बी०एड्० की परीक्षा 1993 में 70% अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की है।

मैं पिछले वर्ष डी०ए०वी० स्कूल, कृष्णा नगर में हिंदी अध्यापक के पद पर कार्य कर चुका हूँ। यह पद मात्र एक वर्ष के लिए ही रिक्त था। इसलिए मुझे वहाँ से कार्य छोड़ना पड़ा है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि आपकी चयन समिति ने मुझे यह अवसर प्रदान किया, तो निश्चित ही मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूँगा और अपनी पूरी निष्ठा व लगन के साथ काम करूँगा।

धन्यवाद सहित
भवदीय
चीराग

बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए पत्र लेखन

बी०पी० 153
शालीमार बाग
दिल्ली
दिनांक: 25 जनवरी, 20XX

बेसिक शिक्षा अधिकारी
जिला परिषद
लखनऊ (उ०प्र०)

विषय: प्राइमरी शिक्षक के पद के लिए आवेदन-पत्र

मान्यवर
दिनांक 24 जनवरी, 20XX के दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ से ज्ञात हुआ कि आपके विभाग में प्राइमरी शिक्षकों के कुछ स्थान रिक्त हैं। उन पदों के लिए आवेदन-पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मैं भी अपने को इस पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करना चाहती हूँ। मेरी योग्यताएँ व अन्य विवरण इस प्रकार हैं: नाम: संगीता जुनेजा, पिता का नाम: श्री सुरेश कुमार जुनेजा। जन्मतिथि: 17 अगस्त, 1975 स्थायी पता बी०पी० 153, शालीमार बाग, दिल्लीI शैक्षणिक योग्यताएँ:

– बारहवीं
– बी०ए०
– बेसिक टीचर कोर्स

अन्य योग्यताएँ:
– शास्त्रीय संगीत में डिप्लोमा
– सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पुरस्कृत
– महाविद्यालय की हिंदी साहित्य परिषद की सचिव

अनुभव: डी०ए०वी० मिडिल स्कूल, कानपुर में प्राइमरी शिक्षक के पद पर कार्यरत।महोदय, यदि उक्त पद पर कार्य करने का अवसर प्रदान करें, तो मैं अपनी कार्यकुशलता से अपने अधिकारियों को संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगी तथा पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करूँगी। प्रार्थना-पत्र के साथ सभी प्रमाण-पत्रों की प्रतियाँ संलग्न हैं।

धन्यवाद
भवदीया
संगीता जुनेजा

शिकायती पत्र

किसी विशेष कार्य, समस्या अथवा घटना की शिकायत करते हुए सम्बन्धित अधिकारी को लिखा गया पत्र ‘शिकायती पत्र’ कहलाता है। शिकायती पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। शिकायत हमेशा विनम्रता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए।

अपने मुहल्ले के पोस्टमैन की कार्यशैली का वर्णन करते हुए पोस्टमास्टर को शिकायती पत्र लिखिए।

15, दूंगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 13-4-20xx

सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
उप-डाकघर पोखर खाली, अल्मोड़ा।

महोदय,

मैं आपका ध्यान मुहल्ला दूंगाधारा के पोस्टमैन की कर्तव्य-विमुखता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस मुहल्ले के निवासियों की शिकायत है कि यहाँ डाक कभी भी समय से नहीं बँटती है। अतः यहाँ के निवासियों को बड़ी असुविधा है। आपसे निवेदन है कि इस मामले की जानकारी प्राप्त करके उचित कार्यवाही करने की कृपा करें, ताकि इस समस्या का निराकरण हो सके।

सधन्यवाद!

मोहल्ले की सफाई हेतु पत्र

औपचारिक पत्र लेखन

  • पहली बात यह कि पत्र के ऊपर दाहिनी ओर पत्रप्रेषक का पता और दिनांक होना चाहिए।
  • दूसरी बात यह कि पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा हो- जिसे ‘प्रेषिती’ भी कहते हैं- उसके प्रति, सम्बन्ध के अनुसार ही समुचित अभिवादन या सम्बोधन के शब्द लिखने चाहिए।
  • यह पत्रप्रेषक और प्रेषिती के सम्बन्ध पर निर्भर है कि अभिवादन का प्रयोग कहाँ, किसके लिए, किस तरह किया जाय।
  • अँगरेजी में प्रायः छोटे-बड़े सबके लिए ‘My dear’ का प्रयोग होता है, किन्तु हिन्दी में ऐसा नहीं होता।
  • पिता को पत्र लिखते समय हम प्रायः ‘पूज्य पिताजी’ लिखते हैं।
  • शिक्षक अथवा गुरुजन को पत्र लिखते समय उनके प्रति आदरभाव सूचित करने के लिए ‘आदरणीय’ या ‘श्रद्धेय’-जैसे शब्दों का व्यवहार करते हैं।
  • यह अपने-अपने देश के शिष्टाचार और संस्कृति के अनुसार चलता है।
  • अपने से छोटे के लिए हम प्रायः ‘प्रियवर’, ‘चिरंजीव’-जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।

अनौपचारिक पत्र लेखन

यह पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। यह पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे माता-पिता, भाई-बहन और मित्रों को उनके हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। आपको बताते चले कि इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में थोड़ी ढ़ील की जा सकती है। इन पत्रों में शब्दों की संख्या नहीं होती है क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी जोड़ा जाता है।

अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य सम्बन्धियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंदर आते हैं। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है। इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है।

अनौपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
  • संबंध व आयु के अनुकूल संबोधन, अभिवादन व पत्र की भाषा होनी चाहिए।
  • पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए
  • पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए
  • भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
  • पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
  • कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
  • अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।

अनौपचारिक पत्र की प्रशस्ति, अभिवादन व समाप्ति

  1. अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए :
    प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
    अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
    समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।
  2. अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए :
    प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
    अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
    समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।

(2)औपचारिक पत्र- प्रधानाचार्य, पदाधिकारियों, व्यापारियों, ग्राहकों, पुस्तक विक्रेता, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं।

विदेश यात्रा पर जाने वाले मित्रों को शुभकामना के लिए पत्र

52, सरदार चौक
दिल्ली
प्रिय मित्रों धर्मेश
सस्नेह नमस्ते

अभी अभी तुम्हारा पत्र मिला , यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि तुम 25 अप्रैल को कनाडा जा रहे हो। बचपन से ही तुम विदेश आने का सपना देखा करते थे। अब बोलो सपना तुम्हारा साकार होने को आ रहा है। कनाडा जाने के लिए मेरे पूरे परिवार की तरफ से तुम्हें बहुत सारी शुभकामना और तुम्हारी यात्रा सफल रहे। वहां जाकर मुझे भूल मत जाना और पत्र लिखते रहना।

मेरे प्रिय मित्र धर्मेश , इस बात का हमेशा ध्यान रखना कि तुम भारतीय हो वहां जाकर अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल मत जाना। तुम जैसे हो वैसे ही रहना अपने स्वभाव और व्यवहार पर विदेशी प्रभाव को पढ़ने मत देना। हार्दिक शुभकामना।

तुम्हारा मित्र
दीप

पत्र लेखन हिंदी PDF / Patra Lekhan PDF in Hindi – FAQs

पत्र लेखन कितने प्रकार के हैं?

पत्र लेखन 2 प्रकार के होते हैं,जैसे-
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र

पत्र लेखन क्या है?

पत्र लेखन एक ऐसी कला है, जिसके माध्यम से दो व्यक्ति या दो व्यापारी जो एक दुसरे से काफी दूरी पर स्थित हो, परस्पर एक दूसरे को विभिन्न कार्यों अथवा सूचनाओं के लिए पत्र लिखते हैं।

पत्र के मुख्य भाग कौन कौन से होते हैं?

पत्र लेखन के मूल रूप से तीन भाग होते हैं। जैसे –

1. प्रारंभ: यानि पत्र के आरंभ में पत्र लिखकर हम प्रेषक के पते का अभिवादन करने लगते हैं।
2मध्य भाग: यानी पत्र-लेखन में मूल विषय के बारे में व्यक्त करने के लिए कि हम अपने पत्र में मुख्य समाचार विस्तार से लिखते हैं, जो कि 150 से 200 शब्दों में है।
3अंतिम भाग: अर्थात पत्र-लेखन का अंत जिसमें हम प्रेषक का नाम या देश का नाम, पता लिखते हैं।

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