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रेत समाधि | Ret Samadhi PDF in Hindi

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रेत समाधि | Ret Samadhi PDF Details
रेत समाधि | Ret Samadhi
PDF Name रेत समाधि | Ret Samadhi PDF
No. of Pages 3
PDF Size 0.08 MB
Language Hindi
CategoryEnglish
Source pdfsource.org
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Downloads17
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रेत समाधि | Ret Samadhi Hindi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप रेत समाधि PDF / Ret Samadhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। `रेत-समाधि उपन्यास की रचना गीतांजलि श्री जी ने की है । वैसे तो ये ठेठ उपन्यास है और इसमें एक मुख्य कथा है जिससे जुड़ी कई आनुषंगिक कथाएं भी हैं। जिस तरह से ये कथाएं कही (या लिखी गई हैं) उसमें कथालोक के साथ विस्तीर्ण काव्यलोक भी है। इस उपन्यास में एक भिन्न प्रकार की किस्सागोई भी है। यह रचना घुमावदार तथा कुछ स्थानों पर रहस्यों को समेटे हुए है।

इन कहानियों का सम्पूर्ण व समुचित आनन्द आप तभी ले पाएंगे जब इसे ठहराव के साथ पढ़ेंगे। प्रत्येक शब्द व वाक्य पर ठहरें तथा उनका अर्थ समझने का प्रयास करें। आप यदि साहित्य में रुचि रखते हैं तथा उपन्यास प्रेमी हैं तो कम से कम आपको एक बार रेत समाधि उपन्यास अवश्य पढ्न चाहिए इसकी विवेचना करनी चाहिए ।

रेत समाधि PDF / Ret Samadhi PDF in Hindi

कहते हैं कि बीता वक़्त मन में दबा रहता है। जब बाहर आता है, तो अस्त-व्यस्त कर देता है सबकुछ। अम्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ। देश के विभाजन में सब छोड़कर भारत आना पड़ा। यहां शादी हुई। बच्चे, नाती-पोते से भरा परिवार मिला। वक़्त बीतता गया। जीवन का आखिरी चरण चल रहा था। अम्मा के मन में बैठी बीते वक़्त की यादें बाहर आ जाती हैं। परिवार ही नहीं, भारत-पाकिस्तान के बीच हलचल मचती है। मन की दबी बात फिर सुलझाए नहीं सुलझती।

रिश्तों के बेहद करीब यह उपन्यास कई मुद्दों पर कटाक्ष करता है। प्रेम, राजनीति, पितृसत्ता, समाज में महिला की हालत, ट्रांसजेंडर, पाकिस्तान, बंटवारा, प्रकृति – सबकुछ एक ही क़िताब में है। दिल्ली की गलीनुमा आम घर से निकली कहानी बॉर्डर के पार पाकिस्तान तक कैसे पहुंचती है, यह रोमांचक है। पूरी क़िताब एक फिल्म की तरह चलती है। हर पन्ने को पलटने पर नई जिज्ञासा जगाना इसकी यूएसपी है। साहित्य प्रेमी गाब्रिएल गार्सिया मार्केट के उपन्यास ‘लव इन टाइम ऑफ कॉलेरा’ से भी कुछ जगह इसे जोड़ सकते हैं। फ्लोरेंतीनों अरिजा अपनी नायिका फेरमीना दाजा का जैसे 50 वर्षों तक इंतज़ार करता है।

दुखों के कई पहाड़ लांघता है। फिर आखिरी वक़्त में जो कहानी का ट्विस्ट है, वही रेत समाधि में भी है। अम्मा की आंखों में भी फ्लोरेंतीनों जैसा ही प्रेम देख सकते हैं। गीतांजलि श्री का यह उपन्यास सिर्फ भारत-पाकिस्तान सरहद ही पार नहीं करता बल्कि लेखन की भी हर सरहद को तोड़ता चलता है। बिना वाक्य बनाए भी शब्द इतना कमाल कर सकते हैं, वह आप इस उपन्यास में देखते हैं। एक कहानी कब कविता में ढलती है और कब कविता से गीत में, इसे सोच भी नहीं सकते। कुछ जगह थोड़ी ऊब भी पैदा होती है। लगता है कि यह हिस्सा न होता, तो बेहतर था। लेकिन, नीरसता का दौर ख़त्म होते ही कहानी फिर नया मोड़ लेने लगती है। कहानी में आगे क्या होगा कि क्यूरेसिटी हर नीरसता को ख़त्म कर देती है।

रेत समाधि आखिर है क्या…? इस सवाल का जवाब शायद क़िताब के अंत में सभी का अलग हो। मेरी ज़ुबानी तो यह कहानी एक बूढ़ी अम्मा के इर्द-गिर्द चलती है। इस लेख की तरह ही क़िताब में भी कुछ देर से पता चलता है कि अम्मा का नाम चंद्रप्रभा है। पति के देहांत के बाद से असली कहानी शुरू होती है। अम्मा खाट पकड़ लेती हैं। बेटा, बहू, पोते, पोतियां सब उठाते हैं, लेकिन अम्मा हिलती नहीं। एक दिन अम्मा अपनी छड़ी के सहारे घर से निकल जाती हैं। खोजख़बर शुरू हुई तो अम्मा एक थाने में मिलीं। कुछ दिन घर में रहीं, फिर बेटी के यहां चली गईं। बेटी शादीशुदा नहीं है। यहां से कहानी में ट्विस्ट आता है।

अम्मा की मुलाकात ट्रांसजेंडर रोजी से होती है। अम्मा के मेकओवर में रोजी का अहम रोल होता है। पहनावा, बोलचाल बिल्कुल बदल जाती है। खाट पर पड़ी अम्मा में नई ऊर्जा का संचार होता है। कहानी अपनी लय में चलती रहती है। फिर अम्मा अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान जाती हैं। मन में दबे जिस बीते वक़्त की चर्चा शुरुआत में हुई, उसकी कहानी की जड़ यहीं है। बेटे, बहू, पोते सबकी सहमति होती है, लेकिन अम्मा पाकिस्तान क्यों गईं, ये किसी को नहीं पता। उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है, तो पता चला पाकिस्तान में अम्मा का पहला प्यार था। चंद्रप्रभा देवी बंटवारे से पहले पाकिस्तान में चंदा थीं।

अनवर से उनका निकाह हुआ था। देश बंटा तो आपाधापी में बिछड़ गईं और हिंदुस्तान आना पड़ा। पाकिस्तान की चंदा यहां चंद्रप्रभा हो गई। अनवर छूट चुका था। चंद्रप्रभा की यहां शादी हुई। यहां तक की कहानी ने सोचने पर मजबूर कर दिया। क़िताब के अगले पन्ने वक़्त पर भारी पड़ने लगते हैं। कयास का दौर शुरू होता है कि अम्मा के इस उम्र में पाकिस्तान आने की वजह क्या है? कभी हंसाने, तो कभी गंभीर करने वाले प्रसंग यहां से सोचने पर मजबूर करने लगते हैं। क्या अनवर से मुलाकात हुई? बड़ा सवाल है। अगर जवाब इसमें मिल गया, तो क़िताब का आधा मजा ख़त्म हो जाएगा। मन में बहस शुरू होती है कि आखिर ये बॉर्डर क्यों होते हैं? अम्मा भी एक जगह कहती हैं, जानते हो सरहद क्या होती है? वजूद का घेरा होता है। किसी शख़्सियत की टेक होती है। अम्मा की बातें यहां से भावुक करती हैं। सच कहा जाए तो रेत समाधि उपन्यास का मूल यही हिस्सा है।

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