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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन PDF

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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन PDF Details
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
PDF Name ठोस अपशिष्ट प्रबंधन PDF
No. of Pages 68
PDF Size 2.20 MB
Language English
CategoryEnglish
Source pdffile.co.in
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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन PDF / Thos Apshisht Prabandhan PDF प्रदान करने जा रहे हैं। मानव द्वारा उपयोग के बाद त्याग दिये जाने वाले ठोस तत्वों अथवा पदार्थों को “ठोस अपशिष्ट” कहा जाता है। इसमें विविध प्रकार के डिब्बे, बोतल, काँच, पाॅलिथिन बैग, प्लास्टिक समान, राख, घरेलू कचरा, लौहा-लक्कड़ इत्यादि शामिल होते है।

जो कि मानव जीवन के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होते हैं। इसीलिए वर्तमान समय में बढ़ता हुआ ठोस कचरा, चिंता के प्रमुख विषयों में से एक माना जाने लगा है, ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए स्थानीय सरकार और नगरपालिकाओं को कुछ विशेष और सक्रिय कदम उठाने की अत्यंत आवश्यकता है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन PDF – तरीके

  • सैनिटरी लैंडफिल: यह आज प्रयोग की जाने वाली सबसे लोकप्रिय ठोस अपशिष्ट निपटान विधि है। कचरा मूल रूप से पतली परतों में फैला हुआ है, जिसे मिट्टी या प्लास्टिक फोम के साथ संपीड़ित किया जाता है।
  • भस्मीकरण: इस विधि में उच्च तापमान पर ठोस कचरे को जलाया जाता है जब तक कि कचरा राख में बदल नहीं जाता। दाहक इस तरह से बनाए जाते हैं कि ठोस अपशिष्ट के जलने पर वे अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा नहीं देते हैं।
  • पुनर्प्राप्ति और पुनर्चक्रण: संसाधनों का पुनर्चक्रण या पुनर्प्राप्ति, परित्यक्त लेकिन उपयोगी वस्तुओं का अगला उपयोग करने की प्रक्रिया है। प्लास्टिक की थैलियों, टिन, ग्लास और कंटेनरों का अक्सर स्वचालित रूप से पुनर्नवीनीकरण किया जाता है, कई स्थितियों में, उनके दुर्लभ वस्तुओं के होने की संभावना होती है।
  • खाद: लैंडफिल के लिए पर्याप्त जगह की कमी के कारण, बायोडिग्रेडेबल यार्ड कचरे को इस उद्देश्य के लिए अभिकल्पित किए गए माध्यम में विघटित करने की अनुमति होती है। खाद बनाने में केवल बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
  • पायरोलिसिस: यह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की एक विधि है जिसके तहत ठोस अपशिष्ट ऑक्सीजन की उपस्थिति के बिना गर्मी से रासायनिक रूप से विघटित हो जाते हैं। यह आमतौर पर दबाव में और 430 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर होता है। ठोस कचरे को गैसों, कार्बन और राख के ठोस अवशेषों और छोटी मात्रा में तरल में परिवर्तित किया जाता है।

ठोस अपशिष्ट के कारण अथवा स्त्रोत – Thos Apshisht Prabandhan PDF

ठोस अपशिष्ट पदार्थों के प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार है-

1. औद्योगिक अपशिष्ट

  • औद्योगिक इकाइयों द्वारा अनेक प्रकार के अपशिष्ट त्यागे जाते है, जो भूमि या मृदा प्रदूषण के मुख्य कारक है।
  • चीनी कारखानो से व्यापक मात्रा मे निकलने वाली खोई, तापीय ऊर्जा संयंत्रो से उत्पादित राख, ताँबा व एल्यूमीनियम प्रगलन संयंत्रो से निकलने वाले खतरनाक रसायन, उर्वरक इकाइयों के अपशिष्ट पदार्थ आदि इसके उदाहरण है।

2. घरेलू व नगरपालिका अपशिष्ट 

  • घरो से निकलने वाला कूड़ा-करकट तथा सार्वजनिक स्थलों पर एकत्रित कचरा नगर निकायों के लिए भारी समस्या है। इसमे पाॅलिथिन, प्लास्टिक, कागज, बोतलें, टिन, ब्लेड, घरों से निकलने वाला कूड़ा आदि शामिल है।
  • विकसित देशों मे पुराने वाहन, टायर, फ्रिज, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि के निष्पादन की भीषण समस्या है।
  • अकेले न्यूयार्क महानगर मे प्रतिदिन 25,000 टन कचरा निकलता है। भारत मे सार्वधिक मुम्बई महानगर से प्रतिदिन लगभग 6 हजार कूड़ा-करकट निकलता है।
  • नगर निकायों द्वारा सम्पूर्ण कचरे का निस्तारण न कर पाने के कारण अधिशेष कचरा निरन्तर बढ़ता जाता है।

3. कृषिजनित अपशिष्ट

  • फसल लेने के बाद खेतों मे बचे डण्ठल, पत्ते, घास-फूस आदि कृषि अपशिष्ट कहलाते है।
  • खेतों मे पड़े रहने वाले ये पदार्थ अधिक मात्रा मे होने पर समस्या पैदा करते है।
  • विकासशील देशों मे इन अपशिष्टों का अनेक रूपों मे उपयोग कर लेने के कारण कोई विशेष समस्या नही है, लेकिन विकसित देशों मे इनका निष्पादन विकट समस्या है।

4. खनन अपशिष्ट

  • खनिजो की प्राप्ति के दौरान काफी मात्रा मे अपशिष्ट निकलते है। खनन के लिए सबसे पहले भू-पृष्ठ को तोड़ा या खोदा जाता है।इससे मलबे का ढेर लग जाता है।
  • खनन की प्रक्रिया के समय निम्न श्रेणी के खनिज को छोड़ दिया जाता है।
  • परिवहन के समय भी खनिजयुक्त मलबा यहाँ-वहाँ फैलता है। खनन क्षेत्र मे अपशिष्ट से निर्मित मलबे के बड़े-बड़े ढेर देखे जा सकते है।

ठोस अपशिष्ट के प्रकार-

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

  1. नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW)
  2. हानिकारक अपशिष्ट
  3. औद्योगिक अपशिष्ट
  4. कृषि अपशिष्ट
  5. जैव-चिकित्सा अपशिष्ट
  6. अपशिष्ट न्यूनतमकरण।
  • नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW)

नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर किसी शहर, कस्बे या गाँव के ज्यादातर गैर-हानिकारक ठोस अपशिष्ट का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिन्हें प्रोसेसिंग या डिस्पोजल साइट पर रूटीन एकत्रण और परिवहन की आवश्यकता होती है। MSW के स्रोतों में निजी घर, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और संस्थान और औद्योगिक सुविधाएं शामिल होते हैं।

  • हानिकारक अपशिष्ट

खतरनाक अपशिष्ट वे होते हैं जो मानव और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे इस प्रकार हैं:

  • विषाक्त अपशिष्ट
  • प्रतिक्रियाशील अपशिष्ट
  • संक्षारक अपशिष्ट
  • संक्रामक अपशिष्ट
  • औद्योगिक अपशिष्ट

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, धातुकर्म रासायनिक और दवा इकाई की ब्र्यूरीज, चीनी मिलें, कागज और लुगदी उद्योग, उर्वरक और कीटनाशक उद्योग प्रमुख हैं जो प्रसंस्करण, स्क्रैप सामग्री, एसिड आदि के दौरान विषाक्त अपशिष्ट जारी करते हैं।

  • कृषि अपशिष्ट

कृषि द्वारा उत्पन्न कचरे में फसलों और पशुओं के अपशिष्ट शामिल हैं।

  • जैव-चिकित्सा अपशिष्ट

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का मतलब किसी भी अपशिष्ट से है, जो मानव या जानवरों के निदान, उपचार या टीकाकरण के दौरान या अनुसंधान से संबंधित या जैविक उत्पादन या परीक्षण में उत्पन्न होता है।

ठोस अपशिष्टों का प्रबंधन

ठोस अपशिष्टों का प्रबंधन निम्न प्रकार किया जा सकता है-

  1. ठोस अपशिष्टों के प्रबंधन मे उनको नियमित रूप से इकट्ठा करना प्रथम चरण है। इसके लिए प्रत्येक गली-मोहल्ले मे निर्धारित स्थल पर कूड़ादान रखा जाये तथा वहां से कचरा नियमित रूप से उठाया जाये।
  2. विघटनीय एवं अविघटनीय कचरे का संग्रहण अलग-अलग किया जाये, ताकि उनका निष्पादन एवं पुनःचक्रण मे सुविधा रहे। सड़ा-गला भोजन, फल, सब्जियां आदि विघटनीय पदार्थ की श्रेणी के अंतर्गत आते है।
  3. किसी भी प्रकार के अपशिष्ट का खुले मे विसर्जन न किया जाये।
  4. एकत्रित सम्पूर्ण कूड़े-करकट को प्रतिदिन डम्पिंग स्थल तक पहुंचाने के  समुचित उपाय नगर निकायों द्वारा किये जाये।
  5. नगरों के व्यस्त क्षेत्रो (बाजार, सार्वजनिक स्थल आदि) मे कचरे का संग्रहण प्रतिदिन एकाधिक बार किया जाये।
  6. अपशिष्ट पदार्थों को एकत्रित करने के बाद उनका समुचित निस्तारण अथवा निपटान महत्वपूर्ण कार्य है। एकत्रित कचरे की छँटाई करके विभिन्न श्रेणियों मे वर्गीकृत करना चाहिए।
  7. ज्वलनशील अपशिष्टों के निपटान के लिए नगर निकायो द्वारा इन्सिनेटर की स्थापना की जानी चाहिए।

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