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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध PDF

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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध
PDF Name ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध PDF
No. of Pages 124
PDF Size 21.89 MB
Language English
CategoryEnglish
Source pdffile.co.in
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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध PDF प्रदान करने जा रहे हैं। अपशिष्ट उत्पादन शहरीकरण, आर्थिक विकास और जनसंख्या वृद्धि का एक उपोत्पाद है। कम आय वाले देशों में 90 प्रतिशत से अधिक ठोस कचरे को अक्सर अनियमित डंपों में या खुले तौर पर जलाया जाता है। जिसके कारण अनेकों प्रकार की नई-नई खतरनाक बीमारियाँ जन्म लेती है।

जो कि आम जनमानस के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होती है। अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे को प्रभावित करता है, सार्वजनिक स्वास्थ्य को बिगड़ता है, और यह पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने के मुख्य कारणों में से एक है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संसाधनों की गिरावट में तेजी आती है, जो कि जलवायु परिवर्तन का महत्वपूर्ण कारण बंता है एवं नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध PDF / Thos Apshisht Prabandhan PDF

बढ़ते शहरीकरण और उसके प्रभाव से निरंतर बदलती जीवनशैली ने आधुनिक समाज के सम्मुख घरेलू तथा औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट के उचित प्रबंधन की गंभीर चुनौती प्रस्तुत की है। वर्ष-दर-वर्ष न केवल अपशिष्ट की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि प्लास्टिक और पैकेजिंग सामग्री की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ ठोस अपशिष्ट के स्वरूप में भी बदलाव नज़र आ रहा है।

हालाँकि अपशिष्ट प्रबंधन की बढ़ती समस्या ने देश को इस विषय पर नए सिरे से सोचने को मज़बूर किया है और इस संदर्भ में कई तरह के सराहनीय प्रयास भी किये जा रहे हैं, परंतु इस प्रकार के प्रयास अभी तक देश भर में व्यापक स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या से निपटने के लिये अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकाम रहे हैं।

प्रथम चरण – अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करने वालों द्वारा कचरे को सूखे और गीले कचरे के रूप में छांट कर अलग करना।
द्वितीय चरण – घर घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करना और छंटाई के बाद इसे प्रसंस्करण के लिए भेजना।
तृतीय चरण – सूखे कूड़े में से प्लास्टिक, कागज, धातु, कांच जैसी पुनर्चक्रित हो सकने वाली उपयोगी सामग्री छांटकर अलग करना।
चतुर्थ चरण –  कूड़े के प्रसंस्करण की सुविधाओं, जैसे कम्पोस्ट बनाने, बायो-मीथेन तैयार करने, और कूड़े-करकट से ऊर्जा उत्पादन करने के संयंत्रों की स्थापना करना।
पंचम चरण –  अपशिष्ट के निस्तारण की सुविधा-लैंडफिल बनाना।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तरीके

मनुष्य और पर्यावरण को नुकसान करे बिना ठोस अपशिष्ट का समस्या के निवारण की व्यवस्था को “ठोस अपशिष्ट प्रबंधन” कहा जाता है।

ठोस अपशिष्ट को प्रबंधन करने के मुख्य तरीके निम्न प्रकार है:

अपशिष्ट पुनः प्रयोग-

  • इसमें उत्पादकों और उपभोक्ताओं को अपशिष्ट का पुनः उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
  • इससे लोग अपने जीवन में अपशिष्ट का पुनः उपयोग करना सीखेंगे। अगर भारत के 60 प्रतिशत लोग भी इस तरीके को अपना ले तो शायद 1 साल में हम भारत में ठोस कचरे को खत्म कर सकते है।

अपशिष्ट का पुनः चक्रण-

  • अपशिष्ट का पुनः चक्रण यानि कचरे को उपयोगी माल के रूप में प्रयोग करना।
  • अगर हम ठोस अपशिष्ट को किसी उत्पाद में कच्चे माल के तौर पर उपयोग करे तो बहोत हद तक हम ठोस अपशिष्ट का निपटान कर सकते है।
  • इसके लिए हमें सबसे पहले सारे संग्रहित कचरे को एकत्रित कर उसका कच्चा माल तैयार करना होगा और फिर उसे नए उत्पाद के लिए तैयार करना होगा।

भस्मीकरण-

  • भस्मीकरण एक सामान्य तापीय प्रक्रिया है। इसमें अपशिष्ट को ओक्सीजन की उपस्थिति में दहन किया जाता है।
  • इसके बाद अपशिष्ट पानी की भाप, कार्बनडाई ऑक्साइड और राख में बदल जाता है।
  • इस प्रकिया का उपयोग बिजली को ऊष्मा देने के लिए भी किया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया से मीथेन गैस उत्पन्न होती है, जो वायु को प्रदूषित करती है।
  • इसलिए भस्मीकरण प्रक्रिया का उपयोग थोड़ा कम किया जाता है ।

गैसीकरण-

  • इस प्रक्रिया में ठोस अपशिष्ट को उच्च तापमान में विखंडित किया जाता है।
  • इसमें अपशिष्ट का दहन बहुत कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्रों में किया जाता है।
  • इससे भी पर्यावरण को नुकसान होता है।

पाइरोलिसिस-

  • इस प्रक्रिया में भी गैसीकरण की तरह ठोस अपशिष्ट को उच्च तापमान पर विखंडित किया जाता है। परंतु इसमें अपशिष्ट का दहन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में किया जाता है।
  • पाइरोलिसिस की खास विशेषता यह है कि, इसमें वायु प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता।

इस तरह हम इन सभी प्रक्रियाओं का उपयोग करके “ठोस अपशिष्ट” के प्रबंधन को नियंत्रित कर सकते है। इन प्रक्रियाओं से न सिर्फ ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन किया जा सकता है, बल्कि इनसे कच्चा माल और ऊर्जा भी ली जा सकती है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम

भारत में लगातार बढ़ रहे ठोस अपशिष्ट को रोकने के लिए भारत सरकार ने कानूनी स्तर पर पहल करके 2016 में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम बनाया था। इस अधिनियम का सबसे ज्यादा प्रभाव नगरीय क्षेत्रों में होगा। इसके अलावा इस अधिनियम में सरकार के सभी मंत्रालयों, प्रशासनिक कार्यालयों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्तव्यो का वर्णन किया गया है।

इस नियम के मुताबिक बायोडिग्रेडेबल और खतरनाक घरेलू अपशिष्टों को हर घर में अलग-अलग पात्र में डाला जाएगा। इसके बाद अपशिष्टों को शहरी निकाय के प्रतिनिधि को सौंप दिया जाएगा। इसके अलावा जो व्यक्ति प्रतिदिन 20 टन या महीने का 300 टन अपशिष्ट का निर्माण करता है, उन्हे स्थानीय निकाय की अनुमति लेनी होगी और कर भी देना होगा।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लाभ

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन करने से जन स्वास्थ्य और पर्यावरण इन दोनों को लाभ होता है।
  • जब ठोस अपशिष्ट का सही तरीके से प्रबंधन किया जाएगा तब बीमारियों के फैलने का कोई डर नहीं रहेगा। जिसकी वजह से हमारे देश के जन स्वास्थ्य में सुधार होगा और लोगो की श्रम करने की क्षमता बढ़ जाएगी।
  • इसकी वजह से जहरीले और खतरनाक पदार्थों की निकास कम हो जाएगी, जिससे जल प्रदूषण को रोका जा सकता है।
  • भस्मीकरण जैसी प्रक्रियाओ से हमें बिजली उत्पादन के लिए सस्ती ऊर्जा प्राप्त होगी।
  • अगर हम ठोस अपशिष्ट का निपटान करेंगे तो हमारी जमीने बंजर नहीं बनेगी। इससे कृषि उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी।
  • ठोस अपशिष्ट का पुनः चक्रण करने से हमें कच्चा माल मिलता है। इससे बनी चिजे हमें बहुत सस्ते में मिल जाएंगी।

Friquently Asked Questions (FAQs)

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्या है?

ठोस अपशिष्ट को फेंक देने से जमीन खराब होती है और उसको जलाने से वायु प्रदूषित होता है। इसलिए मनुष्य और पर्यावरण को नुकसान करे बिना ठोस अपशिष्ट का निपटान करने की व्यवस्था को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कहा जाता है।

ठोस अपशिष्ट क्या है?

हमारे घरो, स्कूलो, कार्यालयो, उद्योगों आदि में हम जिन कठोर चीज़ों को एक बार उपयोग करने के बाद फेंक देते है, उसे ही ठोस अपशिष्ट कहा जाता है।

नीचे दिये गए लिंक के माध्यम से आप ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर निबंध PDF को आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।


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