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वट सावित्री व्रत कथा Book PDF

वट सावित्री व्रत कथा Book PDF Download

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वट सावित्री व्रत कथा Book PDF Details
वट सावित्री व्रत कथा Book
PDF Name वट सावित्री व्रत कथा Book PDF
No. of Pages 10
PDF Size 1.02 MB
Language English
CategoryEnglish
Source pdffile.co.in
Download LinkAvailable ✔
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वट सावित्री व्रत कथा Book

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए वट सावित्री व्रत कथा Book PDF प्रदान करने जा रहे हैं। वट सावित्री व्रत को सावित्री अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वट सावित्री के व्रत का पालन विवाहित स्त्रियों द्वारा ज्येष्ठ मास में अमावस्या के दिन पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। यह व्रत सावित्री को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए किया था।

इस व्रत को करके सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के प्रकोप से बचाया था। इसी प्रकार यह माना जाता है कि जो भी स्त्री इस व्रत का पालन श्रद्धापूर्वक करती हैं, उसे अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। यह व्रत भारतीय राज्यों जैसे – ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल में अत्यंत प्रचलित है। इसे पश्चिमी ओडिशा क्षेत्र में साबित्री उवांस के नाम से भी जाना जाता है।

जिनके पति जीवित हैं, वह स्त्रियाँ इस व्रत को बड़े ही समर्पण एवं विधान-विधान के साथ करती हैं। इस व्रत को का पालन करते हुए विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसलिए वह स्त्रियाँ जो अपने पति की दीर्घायु चाहती हैं, वे अवश्य इस व्रत को नियमपूर्वक एवं श्रद्धा से करें तथा वट सावित्री व्रत कथा अवश्य पढ़ें, क्योंकि बिना कथा पढ़े और सुने व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है।

वट सावित्री व्रत कथा Book PDF

  • पौराणिक एवं प्रचलित वट सावित्री व्रत कथा के अनुसार सावित्री के पति अल्पायु थे, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे की तुम्हारा पति अल्पायु है।
  • आप कोई दूसरा वर मांग लें। पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिन्दू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं। इसी समय सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी।
  • सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया। उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे है।
  • सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं। उन्हें आता देख यमराज ने कहा कि- हे पतिव्रता नारी! पृथ्वी तक ही पत्नी अपने पति का साथ देती है। अब तुम वापस लौट जाओ।
  • उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा- जहां मेरे पति रहेंगे मुझे उनके साथ रहना है। यही मेरा पत्नी धर्म है।सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए।
  • उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं। बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी। तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा एवं अपने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा।
  • सावित्री के यह तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा- तथास्तु! ऐसा ही होगा।‍सावित्री पुन: उसी वट वृक्ष के पास लौट आई। जहां सत्यवान मृत पड़ा था। सत्यवान के मृत शरीर में फिर से संचार हुआ।
  • इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन: जीवित करवाया बल्कि सास-ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए उनके ससुर को खोया राज्य फिर दिलवाया।
  • तभी से वट सावित्री अमावस्या और वट सावित्री पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चन करने का विधान है। यह व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका सौभाग्य अखंड रहता है।

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